जिंदगी एक कभी न ख़तम होने वाली यात्रा है और इसके हर पड़ाव पर हम कुछ नया सीखते हैं. कुछ चीज़ें हम अपने आस-पास के लोगों सीखाते हैं और कुछ चीज़ें हम अपने आप सीखते हैं. मैंने अपने बल बूते पर बहुत कुछ जिंदगी से सीखा है.
इस article को लिखते समय मेरी उम्र, 30 वर्ष की है और मैं भारत की राजधानी में रह रहा हूँ.
आज मैं आपके साथ पीछे 14 सालों से मेरा एक बड़े शहर में रहने का अनुभव share करने जा रहा हूँ.
मैं एक छोटे town से हूँ – एक जगह जहाँ पर हमें हर एक का चेहरा पता होता है और हर एक का नाम भी, एक जगह जहाँ पर हम हर किसी को एक smile के साथ greet करते हैं. मैं झारखण्ड के एक town में बड़ा हुआ.
बचपन से ही मैं curious था और जिन चीज़ों को मैंने पहले कभी नहीं देखा, उन्हें एक्स्प्लोर करने के बारे में enthusiastic था.
मेरी सबसे बड़ी inspiration के source मेरे दादा जी है. वह उनके late 70’s में हैं और जब भी मैं उन्हें देखता हूँ, मैं हमेशा उनके जैसा बनने के लिए inspire हो जाता हूँ.
मैं अकसर अपने आप से पूछता हूँ कि मैं उनके जैसा एक entrepreneur बन सकता हूँ या नहीं. Entrepreneurship का अर्थ समय के साथ बदलता आया है. पहले 60 और 70 के दशक में scratch से business को शुरू करने को और एक ऐसा परिवार बनाना जिससे आपको जिंदगी की एक अगली अवस्था में गर्व का एहसास हो, को ही entrepreneurship कहा जाता था. मेरे दादा जी ने दोनों चीज़ों को हासिल किया, जब भी मैं उनको देखता हूँ, मैं simply उनकी तरह बनना चाहता हूँ.
एक छोटे town से होने के बारे में एक बढ़िया बात ये हैं कि मेरे morals और values पहले दिन से ही cultivate हो रहें हैं, और अब इस stage पर, मैं ईमानदारी से कह सकता हूँ कि ये morals और values ने मुझे जो person मैं आज हूँ, वो बनने के लिए मुझे help की है.
India में, specially एक business class family में, family business को एक descendant ही संभालता है. किस्मत से मेरा एक बड़ा भाई है जिसने family के इस business culture को आगे बढ़ाया और मैं अपने खुद के business ideas को ढूँढने के लिए अब स्वतन्त्र था. इससे मुझे ऐसी जिंदगी बनाने का मौका मिला और ऐसा परिवार बनाने का मौका मिला जैसा मैं चाहता हूँ.
2002 में मैं दिल्ली में आ गया ताकि मैं India का एक top स्कूल Laxman Public School attend कर सकूँ, और वही से मेरी उस जिंदगी की शुरुआत हुयी जो मैं आज जी रहा हूँ. किसी चीज़ की शुरुआत scratch से करना और family के comfort से दूर रहकर कुछ करना कोई आसन बात नहीं थी. जो article आप पढ़ रहें, इसमें मैं आपको वही सब चीज़ें बताने जा रहा हूँ जो मैंने अपनी जिंदगी के इस पड़ाव के दौरान सीखी हैं और एक small-town boy in a big city और अपनी खुद की जिंदगी होना कैसा होता है.
ज़िंदगी कैसे बदलती है?
Introvert से Extrovert बनने का सफ़र
चलिए, मैं अपने खुद के साथ और आपके साथ ईमानदार होता हूँ. जब मैं सबसे पहले दिल्ली में move हुआ था तो वह एक amazing अनुभव था. स्वतंत्रता का एहसास, किसी नईं जगह को एक्सप्लोर करने की excitement, और ऐसी जगह में घूमना जहाँ आस-पास आपको कोई नहीं जानता, बहुत exciting सा था पर मेरी जिंदगी में मेरे लिए बहुत मायने रखता था. मुझे इस culture में adjust होने के लिए, local customs के साथ adjust होने में और एक नयी सोच शुरू करने के लिए दो साल का समय लगा. यह किसी भी तरह कुछ मुश्किल नहीं था, पर फिर भी ये कोई आसन काम भी नहीं था.
जैसे जैसे समय बीता और मुझे अपने बारे में ही बहुत कुछ पता चला,मैने महसूस किया और ये स्वीकार भी किया कि मैं एक introvert हूँ.
एक introvert होना कोई बुरी बात नहीं है, पर यह एक challenge है जब आपको भीड़ में भेज दिया जाता है, और आपको खुद को engage और present करना पड़ता है. फिर भी मैने, इस challenge को accept किया, और एक extrovert बनने की कोशिश शुरू कर दी. मुझे कई बार सफलता मिली औरकई बार असफलता भी. हर एक असफलता ने मुझे बताया कि उस पर आगे से कैसे बढ़िया करना है, और इस point पर मैं यह कह सकता हूँ कि मैं सीख रहा हूँ और अधिक extorvert होने की कोशिश कर रहा हूँ
आप अपने खुद के बल-बूते पर हैं:
ज़िंदगी में एक सबसे दहला देने वाली बात ये हैं कि आप अपने खुद के बल-बूते पर हैं. जब मैं 22 वर्ष का था मैंने ये स्वीकार किया कि मैं अपनी जिंदगी अब वैसे बनाने वाला हूँ जैसे मैं चाहता हूँ. मेरी जिंदगी किसी मकसद के लिए हो सकती थी जो मैं अपने लिए design करंता, या फिर मेरी एक ऐसी जिंदगी हो सकती थी जो मेरी family मेरे लिए design करती. मैं अपनी खुद की terms पर अपनी खुद की जिंदगी को बनाने का पक्का किया, और एक ऐसा इंसान बनने का भी जिसे मैं देखना चाहता हूँ.
यह बदलाव विचारों में, सही balance को find करने में, और एक ऐसी जिंदगी को बनाने में जो आसन नहीं थी. मैं कई तरीकों से बहुत बार सफल हुआ और बहुत बार असफल भी. पर जब भी मैं असफल हुआ मैने उस असफलता को एक सीख की तरह लिया और उससे मुझे और मजबूत बनने में मदद मिली.
मैंने ये स्वीकार किया कि मैं अगल हूँ तो अपने बल-बूते पर हूँ, और एक प्यारी family होने के बावजूद भी, मैं अपनी जिंदगी बनानने जा रहा हूँ. मैंने सोचा कि मैं एक rebellious जिंदगी जी सकता हूँ और एक जिंदगी जिसका कोई अर्थ हो. Interestingly, जो मुझे मिला वह दोनों चीज़ों का एक solid balance है!
आपकी समस्याएं आपकी खुद की हैं:
जब आप अपनी family के साथ होते हैं, आप अपना दुःख-दर्द और अपनी समस्याओं को share कर सकते हैं. पर जब आप अपने खुद के बल-बूते पर होते हैं तो आपकी समस्याएँ केवल आपकी ही रह जाती है और उन्हें आपको ही देखना पड़ता है. समस्याएं जिंदगी का ही एक हिस्सा है, वह जिंदगी के किसी भी पड़ाव में आ सकती हैं. कुछ समस्याएं बड़ी होंगी, और उनमे से बहुत सी छोटी सी होंगी. मैंने अपने आप को क्या सिखाया है कि क्या आज कोई ऐसी समस्या है जो मेरे पिछले लिए हुए actions के कारण है, तो इस तरह से मेरा future उस पर निर्भर करेगा जो मैं आज करूँगा.
तो यदि आपकी जिंदगी में कोई भी समस्या है, कोई action लीजिये और कोई solution ढूँढिये. समय कुछ समस्यायों में आपकी मदद करेगा, पर वह आम तौर पर अपने आप solve नहीं होंगी. आपको कोई न कोई action लेना होगा और चीज़ों का काम बनाना होगा. Strong रहिये और सकारात्मक रहिये.
विचारों और असलियत का बदलाव:
मेरे लिए सबसे बड़ा संघर्ष था, शुरूआती बदलाव (initial transition). मैंने अपने बचपन में क्या देख था और जो अब मैं देख रहा हूँ, ज़िंदगी के दो अलग-अलग aspects हैं. मेरे लिए सबसे बड़ा challenge था इस बदलाव को स्वीकार करना और एक नईं असलियत को embrace करना. पक्का ही, यदि आप एक small-town guy हैं जो एक बड़े शहर में रह रहा है, आपने भी यह बदलाव महसूस किया होगा. पर समय के साथ हम इस बदलाव को स्वीकार करने लगते हैं और अपनी नईं जिंदगी को भी. और वहां से हम अपने सपनो की जिंदगी को बनाने के लिए फ्री होते हैं.
या तो आप रो सकते हैं या हसने का कोई कारण ढून्ढ सकते हैं.
कई बार ऐसा समय होता जब हम चाहते हैं कि कोई और हमें समझे, और हमें समझते हुए हमारी समस्याओं में हमारी मदद करे. पर जिंदगी हमेशा ऐसे ही काम नहीं करती. हर कोई अपनी जिंदगी के मसलों में ही busy है. अपने आप से पूछिए: क्या आप दूसरों की समस्याओं को सुलझाना चाहेंगे?
दूसरों की मदद करके खुश हों एक चीज़ है. पर कसी और का emotional baggage संभालना एक पूरण रूप से अलग स्थिति है. यदि आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जो दूसरों को खुश देखना चाहते हैं, एक messenger बनिए न कि एक carrier.
अधिक या अत्याधिक:
अधिक के लिए पूछने का कोई अंत नहीं है. जिस चीज़ के लिए आप पूछते हैं वह पहले ही अत्याधिक है. जो कुछ भी आप अत्याधिक से ज्यादा प्राप्त करते है, वह exciting होता है. यदि आप हमेशा अधिक के लिए ढूँढ़ते रहते हैं, आपके पास अधिक होगा, पर कभी भी अत्याधिक नहीं होगा. अत्याधिक आपकी संतुष्टि करता है. अधिक आपको anxiety देता है और और प्राप्त करने की जाग्रूति भी. अधिक के लिए पूछने की जगह पर, अत्याधिक के लिए लक्ष्यों को रखिये.
कुछ छोटी चीज़ें जो मैंने सीखीं हैं:
- आप अपनी जिंदगी के boss हैं. आप एक बढ़िया boss भी हो सकते हैं और एक असफल boss भी. यह आपकी इच्छा है!
- जब आप अपने बल-बूते पर होते हैं तो आप अपने आप को बढ़िया समझते हैं.
- ऐसी चीज़ें कीजिये जो आपको खुश रखें, नाकि केवल वही चीज़ें जिनसे दूसरों को ख़ुशी मिले.
- अपनी गलतियों को स्वीकार कीजिए और उन्हें improve करने की कोशिश कीजिये.
- शिकायत करने के लिए जिंदगी बहुत छोटी है, तो इसे खुल के जियें.
- जो लोग आज आपकी जिंदगी का हिस्सा है वो शायद कल आपके लिए न हों. तो जब आप उनके साथ हों, तो उस समय को यादगार बनाईये.
- आप हर एक को खुश नहीं बना सकते, और आपको बनने की ज़रुरत भी नहीं है. ऐसे लोगों को ढूँढिये जिनके साथ आप बहुत comfortable feel करते हैं, उनके साथ जिंदगी जियें.
- बलवाई (rebellious ) रहिये पर लापरवाह (reckless) न होईये.
- ऐसी चीज़ों के साथ जुड़े रहिये जिससे आप हमेशा अपने basics के साथ जुड़े रहें. ख़ास तौर पर जब आपको समय और जगह का पता हो जो बदलने वाले है, आप अपनी जड़ों को भूलने के लिए बंधे होते हैं. लेकिन यदि आपके पास कुछ हो जो आपको याद दिलाये कि आपकी core क्या है, आप कभी भी ऐसा व्यक्ति नहीं बनेंगे जैसा आप नहीं चाहते.
- किसी पर अपने सिवाय निर्भर न रहें. जब आप अपनी खुद की एक जिंदगी बनाने का सोचते हैं, जो सबसे पहली चीज़ है वो है कभी भी किसी पर भी निर्भर न रहें. याद रखिये जो चीज़े आप देख रहें है वह बदलने के लिए बंधी होई है, यदि आप उनके साथ भावुक रूप से जुड़े हुए हैं, आपको दुःख होगा. हर चीज़ को प्यार कीजिये पर उसे अपनी जिंदगी मत बना लीजिए.
- परिवार सब कुछ है. जब आप अपने परिवार से दूर रहे हैं, रिश्ता वैसा नहीं रहता जैसा पहले था. पर याद रखिये कि वह परिवार सब कुछ है और यहाँ तक कि जब सब कुछ fail हो जाता है, आप अपने परिवार को अपने लिए पुकार सकते हैं. तो अपने परिवार के साथ हमेशा जुड़े रहिये. वह आपकी जिंदगी के पहले और अंतिम लोग हैं. यह मायने नहीं रखता कि आप कहाँ है और उनसे कितनी दूर हैं, एक phone call और एक video call आपका आपके परिवार के साथ रिश्ता बनाये रखेगा.
- भावनायों की जगह जिंदगी अधिक practical है. भावनाएं बढ़िया है पर वह overrated हैं. वह किताबों और फिल्मो में अच्छी रहती हैं, पर असल में, आपको practical होना पड़ता है.
- वह अधिक कीजिये जिससे आपको ख़ुशी मिलती है.
- कभी भी दूसरों को अपने लिए फैंसला न लेने दीजिये. आप उनकी advice को सुन सकते हैं जिनकी आप respect करते हैं, पर फैंसला अपने खुद का कीजिये. आप एकेले हैं जो अपने फैंसलों के लिए बाद में ज़िम्मेदार होंगे.
- Last पर least नहीं, अपने future की कहानी अभी लिख रहें हैं.
एक बड़े शहर में एक small-town guy होने के नाते मैं update करता रहूँगा जो कुछ भी मैं सीख रहा हूँ, पर अभी के लिए ये सब कुछ है जो मैंने सीखा है.
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यदि आप एक ऐसे व्यक्ति है जो एक बड़े शहर में अपने बल-बूते पर रह रहे हैं, मुझे आपकी कहानी सुनने में अच्छा लगेगा.
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This post was last modified on June 12, 2022 5:05 pm
View Comments (16)
aapke likhne ka anubhav hi aapki pahchan hai jo aapne sabit kar di ki one pen can change the world besak ye dilouge malala ka hai par mai aapse ek hi word kahna chahta - you are the best inspription for all indian blogger not only india all over the world. salute you
Namaste Rohaan,
Itne kind words ke liye dhanyavaad.
बहुत ही शानदार था यह article मैंने पूरा पढ़ा and बहुत कुछ सिख मिली....Thanks इस प्रकार के article लिखने के लिए....!
धन्यवाद नीलेश.
आप अपनी जिंदगी के boss हैं. आप एक बढ़िया boss भी हो सकते हैं और एक असफल boss भी. यह आपकी इच्छा है!
अति उत्तम पोस्ट हर्ष जी, काफी कुछ जाना आपके बारे में और बहुत कुछ सिखा भी.
सबसे अलग अपनी एक अलग पहचान बनाना एक चुनौती है लेकिन नामुमकिन नहीं.
कहना पड़ेगा कि यह shout me hindi के शानदार लेखों में से एक है :)
~प्रकाश (छोटा शहर, छोटा लड़का)
धन्यवाद प्रकाश.
Amazing Post Harsh :)
You are not here just to fill space or to be a background character
in someone else's movie.
nothing would be the same if you did not exist.
Every place you have ever been and everyone you have ever spoken
to would be different without you.
well said :)
सर जी नमस्कार, आपकी ये पोस्ट पढ़कर एक नयी उर्जा मिली है हम सबको, छोटे छोटे बदलाव से ही इंसान में बड़ा बदलाव आता है सर. इस रियल लाइफ कहानी से हमें बहुत कुछ सिख मिलती है, ऐसे ही inspirational बातें शेयर करते रहें सर जी. (God Bless You Sir)
very inspirational story harsh ji
वैसे में Comments कम करता हूँ, लेकिन आपका यह आर्टिकल पढ़ने के बाद खुद को रोक ना सका, में भी एक छोटे शहर से ताल्लुक रखता हु, और अभी Delhi में रह रहा हूँ, मेरा भी एक ही सपना है, की एक बड़ा ब्लॉगर बनु, वैसे कभी जरूर आपसे मुलाकात होगी।
हर्ष जी आप इंडिया के टॉप bloggers मे है ।आपके बारे मे जानने की इच्छा हर ब्लॉगर को होती है ,आपने बारे मे और अपने इतने अच्छे विचार व्यक्त करने के लिए धन्यवाद
धन्यवाद.
Hi sir. mi apka iss story se bhut inspire or motivate hua . mi ek student ho apse career ke bare me advice lena chata hoo ? Muje Internet,computer technology bhut psand hai . or muje online career banane me intresest hai ....but mera subject computer science nhii hai ? Sir to please advice me in details ki kya muje study karna chaiya to become an successfull Internet entrepreneur ? Thank you sir
Hello sompal,
Agar aap ek blogger ban na chahate hai toh uske liye computer science ki koi zaroorat nahi. Aap bina technical knowledge ke bhi blogger ban sakte hai. Aapko chahiye ki aap online khub mehnat kare aur seekhna ki chah rakhe. Saath hi Saath ek acha writer hona zaroori hai.
sir mera naam savita hai aur me bihar ke ek chote se gaov se hu abhi me apke sare article padh rahi hu jaldi hi apko apni khanani batungi