आज मैं आपको एक ऐसे सवाल का जवाब देने वाला हूँ जोकि बहुत से शुरुराती bloggers मुझसे अकसर पूछते हैं. यह सवाल है: Hindi या Hinglish: किस भाषा में blogging शुरू करें?
Hindi और Hinglish का Difference
इससे पहले कि मैं इस प्रश्न का उत्तर दूँ, मैं आपको सबसे पहले ये बता देता हूँ कि यहाँ पर, “Hindi” और “Hinglish” से मेरा अभिप्राय किन भाषाओँ से हैं.
आप सबको पता ही होगा कि किसी भी भाषा को अनेक लिपियों में लिखा जा सकता है. जैसे कि example के लिए हिन्दी भाषा है, वैसे तो इसकी लिपि “देवनागरी” है और इसी लिपि में ही हम बचपन से हिन्दी भाषा को लिखते आये हैं.
लेकिन इसका अर्थ ये तो नहीं कि हिन्दी भाषा को किसी और लिपि के द्वारा नहीं लिखा जा सकता. जैसे-जैसे social networking sites का दौर चला है, वैसे वैसे लोग अपनी बातों को दूसरों तक पहुंचाने के लिए written chat और messaging का प्रयोग करने लगे हैं.
वैसे तो हम हिन्दी भाषा में या फिर किसी भी अन्य भाषा को उसी कि लिपि जैसे कि देवनागरी या फिर कोई और लिपि में भी chat कर सकते हैं लेकिन English लिपि (English Alphabets) का प्रोयग लोग अकसर करते हैं.
मेरा यहाँ पर मतलब ये है कि लोग वैसे चाहे बात हिन्दी में ही कर रहे हों पर लिखते English letters ही हैं. जैसे कि यदि मैंने किसी को message भेजकर पूछना हो कि “तुम कैसे हो?”, तो हम पूछते हैं इसी चीज़ को english letters में, “tum kaise ho?” भाषा तो हिन्दी ही है लेकिन इसमें इसकी लिपि English की है.
दुनिया में communication की facilities बढ़ने के कारण आज भारत में English जैसी विदेशी भाषाओँ का प्रयोग काफी ज्यादा बढ़ चुका है. हम English भाषा को हिन्दी और अपनी regional languages में ही काफी ज्यादा mix करने लगे हैं.
अब हम अपनी बात पर दुबारा आते हैं. यदि आपने ऊपर discuss की गयी सभी बातों को पढ़ा है तो आपको पता लग गया होगा कि जब मैं बात करूँ “Hindi” भाषा कि उसका अर्थ है भाषा भी हिन्दी और लिपि भी हिन्दी की अर्थात देवनागरी लिपि.
Example: हमारे ब्लॉग पर आप पैसे इन्टरनेट से पैसे कमाना सीख सकते हैं.
अब जब मैं बात करता हूँ, Hinglish की तो उससे मेरा अभिप्राय है भाषा हिन्दी ही हो लेकिन लिपि English की. तो ऐसे बना, Hindi + English = Hinglish. इसकी example है: hamare blog par aap paise kmaana seekh sakte hain.
मुझे आशा है कि जैसे मैंने ऊपर विस्तार से आपको Hindi और Hinglish का अर्थ समझाया है, आपको बहुत अच्छी तरह से समझ आ गया होगा.
चलिए अब बात करते हैं कि हमें यदि कोई हिन्दी blog शुरू करना ही है तो हमें उसे Hindi भाषा में शुरू करना चाहिए या फिर Hinglish भाषा में.
Hindi या Hinglish: Blogging के लिए क्या सही है?
अब बात जब blogging का online website बनाने की आती है तो नए bloggers काफी confusion में होते है कि उन्हें Hindi में या फिर Hinglish में लिखना चाहिए. इस confusion के पैदा होने के कई कारण हैं:
लोगों को ये भ्रम होता है कि Hinglish या फिर हिन्दी site, SEO के लिए कौन सी बढ़िया होगी?
लोग सोचते हैं कि अधिकतर लोग तो हिन्दी की चीज़ों को भी english keywords से search करते हैं, तो ऐसे में हिन्दी site का तो loss होगा…
कई लोग सोचते हैं कि शायद Google या फिर अन्य search engine Hinglish site को spam की तरह treat करेंगे.
तो ऐसे बहुत से questions लोगों के मन में आते हैं.
तो अब मैं इस प्रश्न का उत्तर देता हुआ आपको यह बात clear कर देता हूँ कि, यह completely आप की मर्ज़ी है कि आप किस भाषा को लिखने में comfortable हैं और किस भाषा में ज्यादा से ज्यादा content आसानी से लिख सकते हैं.
लेकिन यदि आप मेरे से मेरा personal opinion पूछे तो मैं Hinglish sites के पक्ष में नहीं हूँ. अब मैं केवल हिन्दी के पक्ष में क्यों हूँ इसके भी कुछ कारण है जोकि मैंने नीचे बताये हैं:
- हिन्दी भाषा को पूर्ण रूप से केवल देवनागरी लिपि में ही लिखा जा सकता है.
- Hinglish कोई भी मान्यत language नहीं है, ये बस communication को आसन बनाने के लिए एक माध्यम है.
- अधिकतर भारतीय लोग, हिन्दी को देवनागरी लिपि में ही पढ़ना पसंद करेंगें नाकि Hinglish में. Hinglish कई बात confusing बन जाती है और ऐसा आपने कई बार social media पर experience किया भी होगा.
Golden Tip:
अब मैं आपको सबसे बढ़िया way बताता हूँ. यदि आप एक हिन्दी blog शुरू करने जा रहें है तो ये मेरी recommendation होगी.
Note: आपको हिन्दी को देवनागरी लिपि में ही लिखना चाहिए यानि कि Blogging को Hindi में ही शुरू करना चाहिए लेकिन कुछ important keywords को और कुछ ऐसे words को जोकि English में ही अच्छे लगते हैं उन्हें English में ही लिखना चाहिए.
इस चीज़ की सबसे बड़ी example: हमारी Site ShoutMeHindi को ही देख लीजिये.
हमारी site basically एक हिन्दी blog है.
हम इस पर हिन्दी की देवनागरी लिपि का ही प्रयोग करते हैं. लेकिन आपने नोटिस किया होगा कि हम बहुत सारे English words का प्रयोग भी साथ साथ में करते हैं. हम उन words को English में लिखते हैं जोकि हिन्दी की देवनागरी लिपि में समझने में मुश्किल होंगे या फिर इस लिपि में बिलकुल भी अच्छे नहीं लगेंगे.
ऐसा करने के दो फायदे हैं:
आजकल लोग इसी हिन्दी और English के mixture में आम बातें करते हैं चाहे वो हमारे निजी जीवन से सम्बंधित हो या फिर काम से सम्बंधित. इससे लोगों को आपके articles को पढने में सुविधा मिलती है और वे आपकी बात को आसानी से समझ सकते हैं.
आपकी site Google या फिर कोई भी दूसरा search engine के valid हिन्दी site के रूप में treat करता है और धीरे-धीरे आपको Search Engine Rankings में benefits भी देता है.
मुझे आशा है कि इस post को पढने के बाद आप इस बात से clear हो चुके होंगे कि आपको Hindi में blogging शुरू करनी चाहिए या फिर Hinglish में.
मुझे बताईये यदि आपके इस पोस्ट के सम्न्बंधित कोई भी प्रश्न आपके मन में है?
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This post was last modified on March 30, 2017 11:58 am
View Comments (57)
बहुत ही अच्छा Article लीक आपने Gurmeet जी में आपसे बिलकुल सहमत हूं हम Hindi में आसानी से Indian लोगो को समाज सकते है और उतने अच्छे से Hinglish में नहीं समजा सकते और कुछ लोगो का तो ये कहना है कि हम Hindi Blog पर traffic ज्यादा नही प्राप्त कर सकते जो की महज एक गलत फहमी हैं मेरा Blog भी ShoutMeHindi की तरह ही हैं शुरू मच जब मैंने Hindi में लिखा तो थोड़ी सी Problem आयी बूत अब में Better than Past समजता हु आप देख सकते हे मेरे Blog को http://hindiorme.blogspot. com क्योंकि 2 या 3 दिन की problem लेकर में Hindi को Support करता हु तो कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि hindi हमारी मातृभाषा हैं और कुछ लोगो को ये लगता है कि ये केवल गलत फहमी हे की Google हिंदी को Support कर रहा है जबकि सच बात तो ये की सच में Google Hindi को support कर रहा है जभी तो उसने Google indic में Hinglish to Hindi tool जोड़ दिया और अब Hindi Article भी अच्छा traffic प्राप्त करते हे
bahut badhiya@gurmeet aapne to hindi ya hinglish ki problem ko solve hi kr diya
This article was very informative and insightful, thanks a bunch for sharing, have a wonderful day.
बहुत ही बढ़िया जानकारी दी आपने new bloggers के लिए मेरा एक प्रश्न हैं जब हम इंग्लिश के कीवर्ड प्रयोग करते हैं तो उनके आगे in hindi लिखना जररूरी होता हैं जैसे की मैं इंग्लिश keyword " di question with solution" क्या इसके आगे in hindi लिखना जरुरी हैं
जी नहीं
Hindi or Hinglish ke bich ke difference ko aapne bahut hi achchhi tarikese samjaya he,jaise aapne baat ki bhale hi niji jivan me text messages me Hinglish kaa pryog hota ho lekin vah koi maanyta prapt language nahi he vah to kewal aek communication kaa madhym he,mai inhi kuchh vajaho se starting se hi Hindi me blogging kar raha hu.
aapki is upyogi tips se newbe jo blogging me apna career banana chahte he unki language ko lekar aek bda confusion dur hoga or unko apna blog start karneme kaafi help milegi
bro, जेसा की आपको पता है कि, अब google hindi content को ऊपर रख रही है और hinglish content को नीचे रख रही है. ऐसे में हम जेसे hinglish content वालो को बहुत problem का सामना करना पड़ रहा है. मेरा एक सवाल है कि, क्या में अपनी पुराने post को hindi में लिख कर editing कर सकता हु. अगर लिख सकता हु तो क्या इससे मेरा article का search engine पर फर्क पड़ेगा मतलब up and down का. ये करना सही है. Please answer देना, मैं बहुत problem me hu.
आप ऐसा कर सकते हैं और यह completely आपके पर्सनल preferences पर डिपेंड करता है
bahot achha article hai gurmeet ji apne jo bataya bilkul samaj me ayaa
par ek sawal tha
hamare blog par jo comments hai wo to jyadatar hinglish me rahte hai.
aur google comments ko bhi as a content consider karta hai.
to iss baat se hamare blog ka luksaan hoga ya fayda
is baat par apki kya ray hai please mujhe bataye...
google comments ko bhi as a content consider karta hai ye baat aapki sach hai rahi baat hinglish comment ki to iska benifit hame hinglish search result me fayda milta hai.
bahut hi acchi post hai aur new bloggers ko ab samajh a jayega ki unki liye hindi hi language jyada acchi hai hinglish se , sir aapko dhanywad itni acchi jankari share karne ke liye
अच्छा तो एक बात बताओ
दैनिक भास्कर की site में टाइटल भी केवल हिंदी में ही होता है
उनके टाइटल में focus keyword भी नहीं होता ।
और जैसा वो टाइटल हिंदी में लिखते हैं वैसा गूगल में कोई सर्च भी नहीं करता
फिर भी भास्कर sites को monthly बहुत बहुत ज्यादा पढ़ा जाता है ।
तो इनका seo के हिसाब से टाइटल नहीं होता
इसके बारे में आप क्या कहना चाहेंगे
दैनिक भास्कर का केस अलग है अब उनकी वेबसाइट पर ज्यादा ट्रैफिक क्यों होता है इसके दो कारण है पहला कारण यह है कि दैनिक भास्कर एक बहुत बड़ा ब्रांड है भारत का इस कारण से पहले ही उसकी पॉपुलैरिटी बहुत ज्यादा है इसके कारण उनकी वेबसाइट का ट्रैफिक Aksar ही काफी ज्यादा होता है दूसरी बात यह है कि वह न्यूज़ कैटेगिरी की साइट है न्यूज़ कैटेगिरी की साइट होने के नाते गूगल उसे स्पेशल सर्च इंजन बेनिफिट देता है
एक और बात बताओ
हर्ष की वेबसाइट shoutmehindi में adsense ads है ।
पर shoutmeloud में adsense ads नहीं है ।
तो shoutmeloud की किन किन चीजों से कमाई है ।
और shoutmeloud पर adsense ads क्यों नहीं लगाया??????
shoutmeloud ki jayda tar income affiliate se hoti hai iske liye harsh bhai Blue host, host gator ki affiliate jayda use karte hai sath hi sath paid service jaise SEO, Wordpress Migration se bhi income hota hai.