मुझे हर समय अच्छा लगने वाला एक quote है – “Less is the new more”. यह मेरा पसंदीदा quote है इसलिए नहीं क्योंकि ये सुनने में अच्छा लगता है बल्कि इसलिए क्योंकि मुझे सच मच में ये quote खुशियों की चाबी लगता है.
एक चीज़ अपने जीवन में content रहने के लिए है कि चीज़ों को छोड़ने की शक्ति को सीखना.
बचपन से मेरे में ये गुण था कि मैं अपने पास हर एक चीज़ को रखूं. ईमानदारी से कह रहा हूँ कि मुझमे ये गुण था!
मेरे बचपन के घर में मेरी माता जी का Storage room था, जिसमे उनके पास junk की बहुत बड़ी collection थी जो वे कभी use भी नहीं करती थी, पर वे वह सब कुछ खोना नहीं चाहती थी. जब भी मैं अपने माता-पिता को visit करता हूँ, और storage room में जाता हूँ, मैं अपना टूटा हुआ DVD player, मेरे college के दिनों से पड़े speakers और बहुत कुछ और ऐसा ही stuff देखता हूँ, जोकि अब बिलकुल बेकार बस मेरी यादें हैं.
जब भी मैं अपनी माँ को कहता हूँ कि आप इन सब चीज़ों को अब निकल दे वहाँ से, वे कहती है कि वे ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि उन चीज़ों के साथ उनका emotional connection है और उन्हें लगता है कि उन्हें किसी भी दिन इन चीज़ों की ज़रुरत पद सकती है.
मैं उन्हें blame नहीं कर सकता क्योंकि जो उन्होंने बताया वह इंसानों का एक स्वभाव है. बहुत आम भी है, यहाँ तक कि यह सभी top corporations के द्वारा भी स्वीकार किया जाता है!
क्या आपने कभी सोचा है कि Apple ने अपने physical stores क्यों खोले जहाँ पर कोई भी जाकर Apple के products को try कर सकता है?
अपने products को मार्किट करने की ownership के पीछे Apple psychology use कर रही है, और यह उनके लिए बढ़िया काम कर रही है और बहुत सी दूसरी companies के लिए. बिना किसी doubt के Apple के products बढ़िया होते हैं, पर ये Apple के stores ही हैं जिसने उन्हें दुनिया का #1 computing brand बना दिया. Apple अपने brands को market करने के लिए ownership की psychology use करता है.
जब भी हम अपने हाथ में कुछ थामते हैं, हमें वह चीज़ अपनी लगती है. जब भी आप किसी Apple product को या फिर किसी और product को किसी experience स्टोर में अपने हाथ में थामते हैं, आप उस product को खरीदना चाहते हैं/ आप उस हर चीज़ के साथ कनेक्टेड feel करते हैं जिसे आप थामते हैं और touch करते हैं. यही main कारण है कि सभी बड़ी gadget companies से अपने physical stores खोलने शुरू कर दिए हैं.
यह इसका भी एक कारण है कि सभी relationship experts भी suggest करते हैं कि हम अपने चाहने वालों के हाथ थामते हैं – क्योंकि ये एक को दूसरे से connect करने का एक शक्तिशाली तरीका है.
यहाँ पर ये point है कि हम अपने आसपास मौजूद हर चीज़ के साथ connect हो जाते हैं और उन लोगों के साथ भी जिन्हें हम जिन्दगी में मिलते हैं, जिन्हें हमें छोड़ने में भी बहुत तकलीफ होती है. हमें अपने घर में से पुरानी चीज़ों के जाने का बहुत दर होता है कि कहीं हमें किसी दिन उनकी ज़रुरत न पड़ जाये. हमें अपने पुराने रिश्ते भी छोड़ने में तकलीफ महसूस होती है क्योंकि उन्होंने हमें past में किसी न किसी कारण से स्वीकार है, उसकी हानि का हमें डर होता है.
“जाने दो” दो शक्तिशाली शब्द हैं एक शक्तिशाली phrase है जो आपकी जिंदगी को अभी के अभी बदल सकते हैं.
पिछले साल जब मुझे इस concept की significance realize हुयी कि “Less is the new more”, मैंने उन चीज़ों से अपना पीछा छुड़ाना शुरू कर दिया जो अब मेरे और किसी काम की नहीं थी. मैंने उन्हें अपने आस-पास के ऐसे लोगों को देना शुरू कर दिया जिन्हें उनकी ज़रुरत थी या फिर जिन्हें वे बेच पायें.
जिन चीज़ों को मैंने सालों तक प्रयोग किया, उन्हें एक दम से छोड़ना आसान नहीं था, पर जैसे ही मैंने अपनी सबसे करीबी चीज़ें साफ़ करनी शुरू कर दी, मुझे एहसास हुआ कि मेरी जिंदगी से काफी सारा बोझ अब कम हो गया है. इससे मेरी नयी चीज़ों को खरीदने के फैंसलों पर भी फरक पड़ा.
पिछले साल मैंने अपने सारे high school grade sheets, certificates को shred कर दिया जिनकी मुझे अब और ज़रुरत नहीं थी. मैंने उन सभी documents से छुटकारा पा लिया जिन्हें मैं कभी संभल कर रखने के लिए बहुत कीमती मानता था, पर अब मुझे realize हुआ कि उनकी और कोई भी ज़रुरत नहीं है.
यह एक कठिन कार्य था जब मैं इसे कर रहा था, पर जल्दी ही मुझे इस बात का एहसास हुआ कि हर एक चीज़ जिसे मैंने discard किया, इससे मेरी एक चिंता कम हो गयी.
इस बात को साल हो गया है जब से मैं इन सब चीज़ों से अपना पीछा छुड़ाया है, और अपने अनुभव के हिसाब से मैं आपको नीचे दिया गया life hack follow करने के लिए offer करने में comfortable feel करता हूँ:-
ऐसे stuff से छुटकारा पाईये जिसकी अब आपको और ज़रुरत नहीं है और जो अब आपकी जिंदगी में और मायने नहीं रखता.
अपनी पुरानी चीज़ों को ऐसे लोगों को दे दीजिये जिन्हें उनकी ज़रुरत होगी, और या फिर उसे किसी charity को दे दीजिये जो ऐसे लोगों को अपने आप ढून्ढ लेंगे जिन्हें उनकी ज़रुरत होगी. यह एक किताबों की collection हो सकती है, कपड़ों की collection जो अब आप और नहीं पहनते, और अन्य कुछ भी जो कभी आपके लिए important हुआ करता था पर अब नहीं. उन चीज़ों को जाने दीजिये ताकि आप आगे बढ़ सकें और अपने कमरों को और बढ़िया चीज़ों के आने के लिए खाली कीजिये.
“Less=More” के concept को follow करके जो benefits मैंने देखें है:
कम चिंता:
चीज़ों को छोड़ देने के process में ये सबसे बड़ा पीड़ा है जो मैंने अभी तक नोट किया है. अब मुझे उन gadgets की चिंता करने की और ज़रुरत नहीं है जो महीनो तक मेरे drawers में पड़े रहते थे. जब भी मैं कहीं travel करता हूँ, मुझे अब और अपने घर पर पड़ी चीज़ों के बारे में चिंता करने की ज़रुरत नहीं है, क्योंकि अब मेरे पास वहां कुछ अधिक है ही नहीं! चीज़ें जो मुझे सच-मुच में चाहिए होती है, हमेशा मेरे साथ होती है और उन्हें carry करने की चिंता भी कम होती है!
अधिक ख़ुशी:
यह fact less worry = more happiness एक no-brainer है. पर हम तब भी खुश होते हैं जब हम किसी और को खुश करते हैं. जब भी हम कुछ किसी और को देते है जिनके पास वह नहीं होता उनकी ख़ुशी और उत्साह हमारे लिए बेशकीमती गिफ्ट होता है.
यदि आप इसके बारे में सोचें यह एक बढ़िया exchange है: मैं अपनी चिंताओं को किसी और की खुशियों में बदल रहां हूँ. हर कोई जीतता है.
अधिक पैसा:
मैं हर एक चीज़ किसी को देता नहीं था. मैंने अपनी कुछ पुरानी चीज़ों को उन्हें बेचकर extra cash में बदला. और इस सारे process ने मेरी खर्चने की आदतों पर प्रभाव डाला, क्योंकि अब मैं इस बारे में अधिक सचेत हूँ कि मुझे अपने घर पर और जिंदगी में क्या लाना है और इस तरीके से मैं इस नारे में अधिक thoughtful हूँ कि मुझे अपन पैसों को कैसे खर्चना है.
इस post से real takeaway suggestion ये है कि less = more.
हर चीज़ का एहसास कीजिये जो अब आपके लिए और किसी काम की नहीं.
अपनी चीज़ों को ऐसे लोगों को दीजिये जिन्हें उनकी ज़रुरत वास्तव में है और उनकी दुआएं पाईये, वह आपको शायद हमेशा याद रखें.
सच में, आप एक सम्मानित किये गए व्यक्ति होंगे, क्योंकि आप खुश होंगे जब आपके पास कम होगा, – जोकि असल में अधिक होगा.
आपके “less is more” के बारे में क्या विचार हैं? क्या आपने अपनी जिंदगी में इस concept को try किया है? यदि किया है तो इसका आपकी जिंदगी पर क्या प्रभाव पड़ा है?
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यदि आप “less is more” के concept में विश्वास रखते हैं, इस post को अपने दोस्तों के साथ Facebook, Twitter and Google Plus पर share करना मत भूलिए और सभी तक ये बात पहुंचाएं “Less is the new more”.
Bahut gajab Harsh sir. dil ko chu jaati h aapki baate….
Mera abhi blogging m startup h. Sir m blogging ke liye time manage ni kr paa rha hu. Mujhe pta h ydi m regular post or active nhi rhunga tho na website growth hogi na traffic aayega. Sir m kya kru ????
aap weekends par blogging kijiye. 🙂
Very Nice sir ji mja aa gya
Very impressive article. main bhi koshish karunga ki aisi chion se chutkara pa saku. thanks for sharing.
bhut vadiya soach ha sir
Sir me in bato se aapko or achi tarah se janne laga hu kyu ki me bhi old iteam ko rakna pasand karta hu ki vo mere kam aaenge lekin esa time aaya hi nahi ki vo mere kam aae es se to acha he ke me unko sell kar du or money ko use karu.
nice post sir
Bahut hi acchi jankari lagi apki life ka exp. Padhkar accha lgta hai
nice post
Bahut acchi Jankari di Sir
Thank You
अच्छा Motivational पोस्ट पब्लिश किया है आप ने
thanks for sharing
aap ke article pad ke maine bhi ek blogging site start ki hai. per mere article history aur GK pe based hai . kya aap mere article ko apne site pe guest post me post kare ge
aap bhej dijiye. i will check
bilkul sahi kaha aapne jo hamare liye kucch nahi hai vo kisi ke liye bahut kuchh ho skta hai aur jo hamare liye bahut kuchh hai vo kisi ke liye kuchh nahi ho skta hai.
बहुत बढ़िया हर्ष सर, आपकी वजह से ही मुझे भी ब्लॉगिंग के बारे में बहुत कुछ पता चला और मेने भी ब्लॉगिंग शुरू की। और मेने पैसे भी कमाये। आप हमेशा ऐसे ही जानकारी देते रहे।
Bahut badiya vichar he Motivational post
पता नही क्यो लेकिन अब मुझे shoutmeloud से shoutmehindi बढ़िया लगने लगा है और इसका कारण है यह पता नही?
🙂
Sir kya aap bata sakte hai ki ye “Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.” kaise add kare comment section me.
Isse har baar aapko comment karne ke liye details baar baar nahi bharni padengi